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15- 08- 22धारावाहिक मकाफात - ए - अमल episode 19



तबरेज़, आसिफ की दुकान पर बैठा था , तब ही जुनेद वहा आता है , उसके चेहरे पर मुस्कान थी और हाथ में कुछ  था ।


"क्या बात है  भाई, नज़र ना लगे काफी खुश नज़र आ रहा है  और ये तेरे हाथ में क्या है  " तबरेज़ ने कहा


"बताता हूँ थोड़ा सब्र तो रख मेरे भाई  " जुनैद ने कहा

"छोटू तीन कप चाय तो लाना जरा " तबरेज ने दुकान पर काम करने वाले लड़के से कहा

"और भाई काम केसा चल रहा है ," जुनैद ने पूछा

"अच्छा चल रहा है , बस उम्मीद करता हूँ जल्दी से अपना काम मिल जाए, मुझसे तो एक जगह बैठ कर कुर्सी पर काम नही होता है , तू तो जानता ही है  बचपन से ही भागदौड़ करते करते जवान हो गया, अब बैठ कर काम करने में आलस आता है , ऐसा लग रहा है  मानो ये कुर्सी मुझे जकड़ रही हो " तबरेज़ ने कहा

"कोई नही भाई , इतने सालों बाद आराम जो करने को मिला है , खुदा पर भरोसा रख  आज  नही तो कल कोई ना कोई अच्छा काम जरूर मिल जाएगा, जब तक नही मिला आराम कर  जो होता है  अच्छे के लिए होता है , कम से कम इस बहाने तुझे थोड़ा आराम तो मिल जाएगा वरना तो तू था  और दुकान थी ," जुनेद ने कहा


"सही कहा तूने जुनेद जो होता है अच्छे के लिए होता है , लेकिन दुकान बहुत याद आती है  बचपन से वहा जा रहा था  और अब देखी महीना गुज़र गया उधर जाकर नही भटका  " तबरेज़ ने कहा


"कोई बात नही मेरे भाई सब ठीक हो जाएगा, वैसे अब वो दुकान चला कौन रहा है और कौन काम कर रहा है  " जुनेद ने पूछा


"साद और समी चला रहे है , ना जाने कौन कौन लोग वहा काम कर रहे है , किसी ने बताया था मुझे की उनका रावय्या ग्राहकों के साथ अच्छा नही है  और दुकान में से बीड़ी सीगरेट और शराब जैसी गंदी बदबू भी आती है ," तबरेज़ ने कहा


"चल छोड़ यार उनकी दुकान वो चाहे वहा  अगरबत्ती जलाये  या सीगरेट, उनकी मर्ज़ी तू जानना नही चाहेगा कि आखिर मैं यहाँ क्यू आया था  और मेरे हाथ में क्या है" जुनेद ने कहा


"अरे यार मैं तो भूल ही गया अपनी बातें लेकर बैठ गया , हाँ यार बताना  आखिर क्या वजह है  जो तू सुबह सुबह आया है  और तेरे हाथ में क्या है , सब कुछ ठीक तो है  " तबरेज़ ने कहा


"हाँ भाई सब ठीक है  बात ये है  कि,,,, जुनेद कुछ कहता  तब ही छोटू चाय लेकर आ जाता

"बहुत अच्छे समय पर आया है  अपना छोटू चाय लेकर, चलो चाय पीते पीते बताओ आखिर क्या बात है , सब कुछ सही होगा उम्मीद करता हूँ " तबरेज़ ने कहा और एक चाय  जुनेद को दे दी।


"हाँ भाई  बात कुछ ऐसी है  कि अगले महीने   राबिया की शादी है  और ये उसी का कार्ड है , सब कुछ इतनी जल्दी हुआ तुझे बताना याद नही रहा " जुनेद ने शादी का कार्ड तबरेज़ को देते हुए कहा


"क्या, सच में ये तो बहुत ख़ुशी की बात है , इतनी ख़ुशी की बात और तू ये कार्ड मुझे दुकान पर देने आया , घर चल  घर पर अम्मी भी ये सुनकर खुश हो जाएंगी " जुनेद ने उसे गले लगा कर कहा


"ऐसी बात नही है  भाई, मैं घर जरूर आता  खाला से मिलकर जाता ये सब उनकी दुआओ का ही तो नतीजा है  जो आज मेरी बहन साथ इज़्ज़त से अपने घर की होने जा रही है , लेकिन तू तो जानता ही है कितने कम दिन रह गए है  बहुत जगहों पर कार्ड बाट कर आना है , बारात के होटल बुक करना है  थोड़े बहुत दहेज़ का इंतजाम भी करना है  वैसे तो लड़के वालो को कुछ नही चाहिए लेकिन फिर भी उसे खाली हाथ तो रुक्सत नही कर सकते, भले ही ससुराल वाले कुछ कहे या ना कहे  लेकिन दुनियां वाले तो बातें बनाएंगे की माँ बाप, और भाई के होते हुए भी  इनकी बेटी खाली हाथ ही रुक्सत हो गयी आज कल तो हर किसी को अपने से ज्यादा दुनियां वालो की बातों के बारे में सोचना पड़ता है  ना जाने क्या हो गया है  आज कल के लोगो को " जुनेद ने कहा थोड़ा उदास हो कर


"तू  परेशान मत हो मेरे भाई, मैं जानता हूँ  मैने भी अपनी दो दो बहनों की शादी की है , मुझे पता है  बहन की शादी की सारी ज़िम्मेदारी उसके भाइयो पर ही होती है , तुझे बहुत सारे काम होंगे करने को मैं भी ज्यादा समय नही लूँगा तेरा और हाँ याद रखना तू अकेला नही है तेरा दोस्त तेरा भाई हर दम तेरे साथ है , कोई भी परेशानी हो या कुछ भी कही भी मेरी ज़रुरत हो बेझिझक मुझे बुला लेना वैसे तो मैं हर दम तेरे साथ ही हूँ लेकिन फिर भी  बहन की शादी का मामला है , तेरी बहन मेरी बहन जैसी ही है  और कोई भी भाई नही चाहेगा की उसकी बहन को  किसी भी तरह की कोई तकलीफ हो शादी को लेकर " तबरेज़ ने कहा


"शुक्रिया मेरे भाई  तेरा इतना सब कुछ कहना ही मेरे लिए बहुत मायने रखता है, जहाँ आज कल अपने सगे रिश्ते ही बहन बेटियों की शादी पर कम्बल में मुँह छिपा लेते है  की कही  ये हमसे कुछ मांगने ना आ जाए या फिर हमें ही कुछ ना देना पड़ जाए ऐसे में तो फिर  गेरो या फिर दोस्तों से इंसान क्या उम्मीद लगा सकता है , और वैसे भी  अल्लाह ही है  सबकी मदद करने वाला इंसान के देने से कभी पूरा नही होता और एक एहसान चढ़ जाता है  सर पर  " जुनैद ने कहा

"सही कहा मेरे भाई  " तबरेज़ ने कहा

"अच्छा मेरे भाई अब मैं चलता हूँ, और हाँ तुम सब को जरूर आना है  शादी के हर एक प्रोग्राम में, माइयो से लेकर शादी तक के सभी प्रोग्रामो में आना है , जितना भी मुझसे हो सकेगा वो सब मैं करने की कोशिश करूंगा ताकि मेरी बहन को ना लगे की उसके भाई  ने उसकी शादी सादगी से कर दी पैसे बचाने के खातिर  " जुनेद ने कहा


"नही यार ऐसा मत सोच , बहने कभी शिकायत नही करती  वो जानती है  की उनके भाई ने अपनी तरफ से पूरी कोशिश की होती है उसे अपने घर से इज़्ज़त के साथ रुक्सत करने की बाकी उसकी किस्मत होती है जो उसके साथ चलती है  और तू परेशान ना हो हम सब आ जाएंगे आखिर राबिया मेरी भी बहन जैसी है  और हम कोई गैर थोड़ी है  जिन्हे इस तरह बुलाने की ज़रुरत पड़ेगी, और हमें तो इस कार्ड की भी ज़रुरत नही तू नही भी बुलाएगा तब भी तेरा ये दोस्त तेरे बिना बुलावे के अपनी बहन को रुक्सत करने आ जाएगा " तबरेज़ ने हस्ते हुए कहा

जुनेद भी मुस्कुराने लगा  और वहा से चला गया ।

उसके चेहरे और हसीं देख कर तबरेज़ को थोड़ा सुकून मिला और वो दुकान के काम में लग गया 


आसिफ  आ चुका था  दुकान का समान लेकर


" क्या जुनेद भाई आये थे? , मुझे रास्ते में मिले थे  काफी जल्दी में लग रहे थे " आसिफ ने समान नीचे रख तबरेज़ से पूछा 


"हाँ, शादी का कार्ड देने आया था  राबिया की शादी है अगले महीने हम सब को दावत देने आया था  " तबरेज़ ने कहा


"ये तो बहुत अच्छी बात है , इतने दिनों बाद कुछ अच्छी खबर तो मिली, भला हमें कार्ड देने की क्या ज़रुरत थी हम तो वैसे भी चले जाते आखिर घर जैसा मामला तो है  हमारा उन के साथ  " आसिफ ने कहा


"मैं भी यही कह रहा था उससे लेकिन तुझे तो पता ही है  आज  कल लोग इस कागज के टुकडे को ही सब कुछ समझते है  इसलिए कही किसी की शिकायत ना हो इसलिए ये रिवाज़ बन गया है  और वो मुझे भी दे गया  " तबरेज़ ने कहा


"जी भाई जान सही कहा आपने याद नही ऐमन की शादी पर  मुमानी जान ने कितना ड्रामा किया था  उनके घर कार्ड नही गया था , बल्कि वो जानती थी  की हमने सिर्फ गिने चुने कार्ड छप वाये थे दूर के लोगो के लिए  वो तो अपनी थी फिर भी उन्होंने इतना ड्रामा किया था  की अम्मी को खुद जाना पड़ा था कार्ड लेकर उनके घर तब वो आयी थी , आज कल के अपनों को ना जाने क्या हो गया है  इस कागज के टुकडे से याद दिलाना पड़ता है  की वो अपने है  और उन्हें हमारी खुशियों में शरीक होना है , जैसे अगर वो इस कार्ड के जाए बगैर आएंगे तो हम उन्हें घर से निकाल देंगे " आसिफ ने कहा


"चलो ये सब बातें छोड़ो  मैं अभी घर जाकर आता हूँ और अम्मी को भी बता कर आता हूँ फिर कही याद ना रहे " तबरेज़ ने कहा और वहा से सीधा  अपने घर चला गया 



वही दूसरी तरफ  ज़ोया कॉलेज में बैठी थी अपनी सहेलियों के साथ ।

"अगले महीने रिजल्ट आ रहा है  ज़ोया तेरा " उसकी सहेली ने कहा


"किस चीज का " ज़ोया ने पूछा

"पागल, भूल गयी  जिस का तूने एग्जाम दिया था  "दूसरी सहेली ने कहा

"क्या, इम्प्रूवमेंट एग्जाम का " जोया ने पूछा हैरानी से

"हाँ, उसी का " सामने बैठी लड़की ने कहा

"अरे यार इस ज़िन्दगी में एक पल भी सुकून से नही गुज़रता है  अभी तो उसके एग्जाम की टेंशन से फ़ारिग हुयी थी और अब अगले महीने उसके रिजल्ट की आने की टेंशन ना जाने कब इन एग्जाम और रिजल्ट से मेरी जान छूटेगी " जोया ने कहा अपने माथे पर हाथ रख कर


"क्यू इस बार भी डब्बा गुल होने की उम्मीद है क्या तेरी " सामने बैठी सहेली ने हस्ते हुए कहा

"तेरे मुँह में खाक सिमरन , तू तो जब भी बोलती है  बुरा ही बोलती है ," जोया ने सामने बैठी सिमरन से कहा

"मैने कुछ गलत तो नही कहा, जिस तरह तू घबरा रही है  उससे तो लगता है  की इस बार भी  तेरा डब्बा गुल होने की उम्मीद है  " सिमरन ने कहा

"तुम सब तो पास हो गयी थी ना अंग्रेजी के एग्जाम में, तुमने अगर इम्प्रूवमेंट दिया होता और घर पर  अगर तुम्हारे सर पर भी अब्बू की तलवार लटकी होती तो फिर पूछती मैं भी तुम लोगो से, उन्हें तो यही लगता है  की मैं पास हो गयी थी अच्छे नंबर से बेचारे मेरे अब्बू " ज़ोया ने कहा


"यार ज़ोया तू आखिर किताबों से इतनी नफरत क्यू करती है , तू नही चाहती की लोग तुझे पढ़ी लिखी कहे पढ़ाई की डिग्री तेरे हाथ में हो  " सिमरन ने कहा


"क्या फायदा पढ़ाई की डिग्री हाथ में लेकर शादी के बाद आना तो हाथ में करछी और कढ़ाई ही है , और कुछ दिन बाद बच्चों की दूध दानी बस फिर ये डिग्रियां बस देखने के काम आएँगी  कोई फायदा होगा पढ़ लिखने का " ज़ोया ने कहा


"ओह ज़ोया तू बिलकुल बेवक़ूफ़ है , खाना बनाना और खाना तो हर इंसान की ज़रुरत है , लेकिन पढ़ाई लिखाई अपनी जगह है  और खाना बनाना अपनी जगह है , ऐसे तो इंसान का जीना भी बेकार है  क्यूंकि एक दिन तो उसे मरना है  और ज़मीन के नीचे दफन हो जाना है  नही तो आग में जल जाना है, अगर सब लोग ऐसे ही सोचने लगे  जैसा तू सोच रही है  की पढ़ लिख कर भी हमने  करना तो चूल्हा चोखा ही है  तो फिर मेरी प्यारी दोस्त तो फिर दुनियां में ना तो कोई लेडीज  डॉक्टर मिलेगी और ना ही महिला पुलिस अधिकारी  और ना ही कोई महिला शिक्षिका  अगर सब यही सोचने लगी तेरी तरह,


तू तो पढ़ लिखने के बाद भी बेवक़ूफो वाली बातें कर रही है  पढ़ाई लिखाई इंसान को चतुर और सोचने समझने की ताकत देती है  उन्हें जानवरों से अलग बनाती है  उन्हें सभ्य बनाकर  एक अच्छा और बेहतरीन शहरी बनाती है ज़िन्दगी जीने का तरीका  सिखाती है , लोगो से बात करने का तमीज सिखाती है और मुसीबत परेशानी से लड़ना सिखाती है  और तू कह रही है  कि क्या फायदा पढ़ाई लिखाई का आखिर में हम सब ने पकड़ना तो हाथ में करछी कढ़ाई ही है  " पास बैठी दूसरी लड़की  ने कहा


"चल अच्छा ज्यादा लेक्चर मत दे मैं जानती हूँ मुझे क्या करना है  अपनी ज़िन्दगी में " ज़ोया ने कहा


"ओह ज़ोया एक दिन तुझे ये कॉलेज के दिन और हमारी कही बातें याद आएँगी लेकिन जब तक तुझे ये बातें समझ आएँगी तब तक बहुत देर हो चुकी होगी। ईश्वर करे  वो दिन आने से पहले तू समझ जाए हम सब कि बातें और ज़िन्दगी को अच्छे और बुरे दोनों नज़रये से देखने लगे  " सिमरन ने कहा


"चलो अच्छा अब क्लास में चलते है , अभी भी दो घंटे बचे है  इस कैद में रहने के " ज़ोया ने कहा और वहा से उठ खड़ी हुयी


"तेरा कुछ नही हो सकता जोया, कॉलेज को कैद कह रही है  याद आएंगे ये दिन भी तुझे और पता चलेगा  ये कैद थी या आजादी  जिसको तूने समझा नही कभी  गया वक़्त लोट कर नही आता  है  " सिमरन ने कहा


"लोट कर वापिस लाना भी कौन चाहता है , बस  जल्दी से ये B. A हो जाए और मेरी जान इस पढ़ाई के पिंजरे से आजाद हो जाए ताकि मैं अपनी ज़िन्दगी अपने हिसाब से जी सकूँ, और जिससे प्यार करती हूँ उसके साथ रह सकूँ " ज़ोया ने कहा


"देखते है  मेरी बहन  क्या होता है , मेरी ईश्वर से यही प्रार्थना है  कि तू जैसा सोच रही है  वैसा ही हो क्यूंकि अगर उससे हट कर हुआ तो तू उस सब को बर्दाश नही कर सकेगी  क्यूंकि ये ज़िन्दगी जितनी खूबसूरत दिखती है  उतनी है नही ना जाने कब कहा और कौन से दौराहे पर लाकर खड़ा करदे ये ज़िन्दगी कोई नही जानता सिवाय ऊपर बैठे ईश्वर के

Future is unpredictable" सिमरन ने कहा


"मैं अपना भविष्य देख सकती हूँ, मुझे पता है  अपनी ज़िन्दगी में कब और क्या करना है  इसलिए मुझे मत समझाओ अपना ज्ञान अपने तक ही सीमित रखो  और चलो क्लास में खड़ूस मिश्रा का पीरियड है  देर हो गयी तो बेवजह गुस्सा करेंगे  " ज़ोया ने कहा और उन सब का हाथ पकड़ कर ले गयी क्लास रूम कि तरफ ।


हम्माद जो कि सौ रहा था , उसका मोबाइल बजता है  वो ना जाने क्या बुरा भला कहते हुए बिस्तर से निकल कर मोबाइल देखता है  उस मोबाइल में जो नाम और नंबर था  उसे देख वो ख़ुशी से खिल उठता है । और झट से उसे रिसीव कर लेता है ।


आखिर  किसका फ़ोन था जिसे देख हम्माद खुश हो उठा था जानने के लिए जुड़े रहे मेरे साथ धारावाहिक कि अगली किश्त के साथ हर सोमवार 


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1 Comments

Sant kumar sarthi

15-Aug-2022 11:14 AM

शानदार

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